जीवन के रंग (मुक्तक)




रोशन कहीं सूरज, चाँद, तारे हैं

बुझ गए कहीं दीये भी सारे हैं

देखे हैं रंग जीवन के अजब से

नहीं बूँद कहीं, कहीं रस-धारे हैं.
-विनिता सुराना 'किरण'

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