दुआ (कविता)




दूर देश को जाने वाले, संग ले जा तू दुआ मेरी,
जीवन-संघर्ष में हर क्षण, कवच बन करे रक्षा तेरी|
जो पथ में हो धूप कड़ी, छैया बन जाए दुआ मेरी,
चुभे न गम के काँटे कभी, फूलो की हो शैय्या तेरी|
तेरे हिस्से के सब अश्रु, पी लेगी ये दुआ मेरी,
कामना यही करूँ सदा, फलें-फूलें शाखें तेरी|
हौसलों के पंख मिले, उड़ान हो ऊँची तेरी,
लौट आना सांझ को, राह देखेगी दुआ मेरी|
-विनिता सुराना 'किरण'

 


 


 


 


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