Bachpan Ke Din

सांझ ने सप्त रंग सजाये
यादों ने भी पंख फैलाए
नटखट बचपन के वो दिन
तब बहुत याद आये.


वो प्यार वो दुलार
वो मान वो मनुहार
वो गुड्डे-गुड्डियो से बाते
वो सपनो से सजी राते
वो परियो की कहानियाँ
जब भी कोई सुनाये
अल्हड बचपन के वो दिन
तब बहुत याद आये.

वो बचपन के साथी, वो खेल-खिलोने

वो मिटटी के घरौंदे , वो सपने सलौने
वो झूले में आकाश छु लेना
वो नित नए खिलौनों पर मचलना
वो बर्फ के रंग-बिरंगे गोले
जब मुंह में मिठास घोल जाये
मासूम बचपन के वो दिन 'विनी'
तब बहुत याद आये.

वो दिवाली की धूम, वो होली के रंग

वो ऊँची उड़ान भरती रंगीली पतंग
वो तरह-तरह के खेल,वो सतरंगे मेले
वो चूरन की गोली, वो चाट के ठेले
वो बारिश का पानी,वो कागज़ की कश्ती
जब होठों पर मुस्कान ले आये
सुनहरे बचपन के वो दिन
तब बहुत याद आये.
 
By- Vinita Surana

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