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एक चिट्ठी माँ के नाम

माँ, आज न आपका जन्मदिन है, न पुण्यतिथि, न ही मातृ दिवस, आपकी याद यूँ भी किसी विशेष दिन की मोहताज नहीं ... मेरे मन के पन्नों पर जाने कितनी अप्रेषित चिट्ठियां लिखी हैं आपके नाम की पर ...

कन्या पूजन

कभी भेदती नज़रों से, कभी कसैली ज़ुबाँ से, कभी अश्लील भावों से, कभी बदनीयत हाथों से प्रतिदिन निर्वस्त्र होती हैं 'कन्याएँ' ! कभी सुरक्षा के भ्रम में, कभी संस्कारों की आड़ में, कभी पर...

कुछ यूं ही

जब आसपास कुछ सकारात्मक न दिखे तो पुरानी, बहुत पुरानी मीठी यादों को खंगाल कर कुछ मिठास मिल सके तो इससे बेहतर कुछ नहीं ... अपनी डायरी के ज़र्द हो चुके पन्नों की वो बासी गंध भी बेहतर...

ज़िन्दगी और मौत

प्यार , प्रेम , मोहब्बत , इश्क़ अगर कमज़ोरी बन जाए तो इन एहसासों से दूर रहना बेहतर ... प्रेम सारी दुनिया से हो तो अच्छा पर उससे पहले स्वयं से हो तो बेहतर .... ज़िन्दगी ने कब कहा कि वो आसा...

दिल की बात

माना असीमित ऊर्जा है मुझमें, तुम्हारे कितने ही एहसास सहज ही समेट लेता हूँ अपने भीतर .... दिन रात निरंतर अपनी ऊर्जा से प्रेरित करता हूँ तुम्हें कि तुम चलते रहो जीवन पथ पर ... मगर ये ...

एक खत रंगों के नाम

मेरी अभिव्यक्ति के साथी,          तुमसे बिछड़े अरसा हुआ पर यकीन मानो मैं कभी नहीं भूली तुम्हें ... हाँ दूर कर लिया ख़ुद को तुमसे पर इसलिए नहीं कि तुमसे नाराज़ थी, कैसे नाराज़ हो सकती ...

एक ख़त बस यूँ ही

अलसुबह के उनींदे ख़्वाब ,          मुझे बेइंतहा मोहब्बत है तुमसे !तुमसे मिलने को पूरी शब गुज़रने का इंतज़ार करती हूँ ..... सहर तुम्हारे आगोश में हो तो दिन अच्छा गुज़रेगा यक़ीनन ! यही सो...

एक खत नन्ही बूँद के नाम

प्यारी सी नन्ही बूँद , तुम नटखट सी, तुम पगली सी, कभी शरारत से फिसलती, कभी शैतान सी कूद जाती, कभी जब दो घड़ी ठहर जाती मेरी हथेली पर तो सहेली सी लगती हो, मुझसे बतियाती हो, दुनिया जहां ...

एक ख़त तुम्हारे नाम

तुम अक्सर गुज़रते रहे मेरे ख़्यालों की रहगुज़र (रास्ता) से और मैं सोचा करती ...तुम ऐसे होंगे, तुम वैसे होंगे, यूँ हँसते होंगे,  यूँ बोलते होंगे.....जब मेरा नाम लोगे तो कैसे मुस्कुराओग...