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Showing posts with the label Short Story

लोकतंत्र

दो उद्दंडी बालक उलझ गए किसी बात पर ...एक ने उकसाया तो दूसरे ने कीचड़ में धक्का दे गिरा दिया । फिर तीसरा आया कीचड़ वाले को उठाया और लगा मदद करने कीचड़ हटाने में ...ले आया एक बाल्टी पानी ...

करवाचौथ

"दीदी , मैं कल काम पर नहीं आऊँगी", घरेलू सहायिका ने कल जाते-जाते कहा । "क्यों कल क्या है?", मैंने अख़बार से सर उठाते हुए पूछा। "अरे कल करवा चौथ है न दीदी.." "अरे हाँ ! चल ठीक है ... अरे सुन तो, पि...

देसी टॉम क्रूज़ !

"तुझे पता है,,,, आज लाइब्रेरी में कौन दिखा मुझे ?" "नहीं पता तो नहीं है ...पर तू बता ही देगी, वरना तेरा पेट दर्द नहीं हो जाएगा... हाहाहा" "हाँ यार सच्ची !!! आज यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी गयी थी एक ...

आगे वाली सीट

अपने स्टॉप से आज फिर बस में चढ़ते ही निगाह सीधे आगे की सीट पर पड़ी । वह आज भी वही बैठा हुआ था पहली सीट पर खिड़की के पास वाली ... ये भी जानती थी बस 3 स्टॉप और फिर उसी सीट पर कोई और बैठी होगी, ...

चोरी-चुपके

अरसे पहले ज़मींदारी समाप्त हुई तो बिरजू को भी एक छोटा टुकड़ा ज़मीन का मिला, पर बंजर, ऊपर से पानी का कोई स्रोत नहीं । वर्षों की अथक मेहनत और सरकारी सहायता से कुछ संसाधन जुटा कर खेत...

इत्तेफाक़ !

"अरे तुम यहाँ ! इस समय ?" "तुम सवाल बहुत करती हो , चलो अब बैठो बाइक पर.." "हम्म, ठीक है पर तुम इस समय कैसे, ये तो बताओ... तुम तो लंच के लिए 2 बजे जाते हो घर और अभी तो 4 बजे है, आज देर कैसे हो गयी ?" "हाँ आ...

धरणी की कहानी (भाग 3)

सहमी , सुबकती रश्मि को जैसे तैसे घर लेकर पहुँची धरणी तो ये देखकर हैरान रह गयी कि घर में जमघट लगा है लोगों का । सामने देखा तो संतोष बैठा गाँव वालों के साथ बतिया रहा था। धरणी को ...

धरणी ( कहानी) भाग 2

दो दिन रुक कर मदन और सुरभि शहर लौट गएँ। घर में सब यथावत चलने लगा, बस धरणी का जीवन सूना हो गया था। मदन के साथ न रहने पर भी उसकी प्रतीक्षा रहती थी और मन में एक आस और कुछ सपने , अब वे ...