ज़िन्दगी और मौत
प्यार, प्रेम, मोहब्बत, इश्क़ अगर कमज़ोरी बन जाए तो इन एहसासों से दूर रहना बेहतर ...
प्रेम सारी दुनिया से हो तो अच्छा पर उससे पहले स्वयं से हो तो बेहतर ....
ज़िन्दगी ने कब कहा कि वो आसान होगी ? जब राह स्वयं चुनोगे तो फूल ही फूल हों ये संभव नहीं, यूँ भी खार न मिलें तो फूलों को पूछेगा कौन, उनकी कोमलता, उनकी सुगंध, उनकी खूबसूरती को सराहेगा कौन ? ज़िन्दगी या मौत , कौन सा विकल्प बेहतर ? शायद मौत .. क्योंकि आसान लगता है न पर फिर वो खुशी कैसे हासिल होगी जो एक मुश्किल सफ़र के बाद मिली छोटी सी भी सफलता से होती ?
"मैं अब जीना नहीं चाहता/चाहती, मर जाना चाहता/चाहती हूँ" किसी और से कहा हो या नहीं , खुद से कभी न कभी जरूर कहा होगा हर व्यक्ति ने विषाद के पलों में .... ऐसे समय में प्रवचन की नहीं एक जादू की झप्पी, एक ख़ामोश स्नेहिल स्पर्श की आवश्यकता होती है । कोई और न हो तो स्वयं को दे सकें, इतना हौसला हम सब में हो काश !
मौत मंज़िल नहीं , अगर होती तो जीने की जिजीविषा कभी न होती । ज़िन्दगी एक सफ़र ही सही, चलो थाम कर अपना ही हाथ चलते हैं, क्या जरूरी है कोई मंज़िल मिले ही ... आगे बस आगे बढ़ते जाना, हर कदम पर कुछ खूबसूरत ढूंढ लेना, मुस्कुरा देना और खुद से कहना "I'm the best"
आसान नहीं न सही पर चुनौती भी तो कुछ होती कि नहीं ?
#चुनौती_स्वीकार_है
#किरण
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