मनाली डायरीज़
यात्रा संस्मरण : मनाली डायरीज़ कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे उससे मिलाने में जुट जाती है.........सचमुच जब ठान लो तो सब संभव है और राहें स्वयं स्वागत करती हैं । लगभग 15 वर्ष पहले जब मनाली गयी थी परिवार के साथ तो मोहब्बत हो गयी थी मनाली की खूबसूरत हरी-भरी वादियों और बर्फ़ से ढके ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से... वहाँ के बाशिंदों की सादगी और अनगिनत मीठी-मीठी यादों से लबरेज़ मन हमेशा से एक आरज़ू पाले रहा कि किसी दिन फिर लौटूं उन हसीन कुदरती नजारों के बीच | गत वर्ष अर्थात 18 मई को स्कूल के समय की सखी सारिका का व्हात्सप्प पर मैसेज आया, मनाली का प्रोग्राम बना 10 जून से पहले, सुनते ही जैसे रोमांच सा छा गया और मन बेताब हो उठा | आनन-फानन में दो ही दिन में यात्रा की योजना बनी, रेल टिकट, वो भी गर्मी की छुट्टियों में ! ऐसे में जयपुर से चंडीगढ़ के 23 मई के जाने और 31 मई के वापसी के कन्फर्म टिकट मिलना जैसे सचमुच कुदरत का ही ...