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Showing posts from October, 2017

कन्या पूजन

कभी भेदती नज़रों से, कभी कसैली ज़ुबाँ से, कभी अश्लील भावों से, कभी बदनीयत हाथों से प्रतिदिन निर्वस्त्र होती हैं 'कन्याएँ' ! कभी सुरक्षा के भ्रम में, कभी संस्कारों की आड़ में, कभी पर...

कुछ यूं ही

जब आसपास कुछ सकारात्मक न दिखे तो पुरानी, बहुत पुरानी मीठी यादों को खंगाल कर कुछ मिठास मिल सके तो इससे बेहतर कुछ नहीं ... अपनी डायरी के ज़र्द हो चुके पन्नों की वो बासी गंध भी बेहतर...

ज़िन्दगी और मौत

प्यार , प्रेम , मोहब्बत , इश्क़ अगर कमज़ोरी बन जाए तो इन एहसासों से दूर रहना बेहतर ... प्रेम सारी दुनिया से हो तो अच्छा पर उससे पहले स्वयं से हो तो बेहतर .... ज़िन्दगी ने कब कहा कि वो आसा...

दिल की बात

माना असीमित ऊर्जा है मुझमें, तुम्हारे कितने ही एहसास सहज ही समेट लेता हूँ अपने भीतर .... दिन रात निरंतर अपनी ऊर्जा से प्रेरित करता हूँ तुम्हें कि तुम चलते रहो जीवन पथ पर ... मगर ये ...

करवाचौथ

"दीदी , मैं कल काम पर नहीं आऊँगी", घरेलू सहायिका ने कल जाते-जाते कहा । "क्यों कल क्या है?", मैंने अख़बार से सर उठाते हुए पूछा। "अरे कल करवा चौथ है न दीदी.." "अरे हाँ ! चल ठीक है ... अरे सुन तो, पि...

कोहरे की चादर

बारीक बूँदों से बुनी कोहरे की चादर ओढ़े रुई के गोले से आसमान से नीचे उतरते आ रहे थे मानो आगोश में लेना चाहते हों मुझे और मैं बस मुग्ध सी देखती ही रही धीरे-धीरे उन्हें अपने करीब, ...

एक खत रंगों के नाम

मेरी अभिव्यक्ति के साथी,          तुमसे बिछड़े अरसा हुआ पर यकीन मानो मैं कभी नहीं भूली तुम्हें ... हाँ दूर कर लिया ख़ुद को तुमसे पर इसलिए नहीं कि तुमसे नाराज़ थी, कैसे नाराज़ हो सकती ...