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Showing posts from January, 2017

ये उम्र गुज़र गयी !

तुम समझे नहीं खामोशियों की ज़ुबाँ और लफ्ज़ ढूंढते उम्र गुज़र गयी । आधी सदी की मुहब्बत या आधी सदी की तलाश तुम मुझमें ही कहीं थे, मैं तुम्हीं में रची-बसी इस बेनाम से मरासिम को आख़ि...

तुम्हारे लिए !

हर गुज़रते मोड़ पर इशारा देती रही नियति कुछ समझी और कुछ समझ कर भी नहीं समझी  एक सिरे से जुड़ता गया दूसरा सिरा और जारी रहा मेरा सफ़र हर पन्ने पर थोडा-थोडा छूटती गयी मैं, कभी निखरी ...

मुझे चुन लिया

जो मैंने कहा नहीं, तुमने वो सुन लिया लफ्ज़ अनकहे, ले ख़्वाब बुन लिया धीरे-धीरे उलझती-सुलझती रही और तुम यूँ ही मुस्कुराते रहे ... सब जानते थे तुम, जानते थे न ? मेरे मन के सुर पहचान जान...

उसने कहा ..

उसने कहा... तुम्हें मुक्त किया अपने पाश से जाओ ...जी लो अपनी ज़िन्दगी भर लो कुछ नए रंग, उकेर लो कुछ नयी रेखाएं, सफ़र भी तुम्हारा राह भी तुम ही चुनना, बस मेरा एहसास साथ रखना और रखना खाल...

लम्हे उधार के

ये वक़्त कुछ लम्हे उधार दे अगर, फिर एक बार महसूस करूँ तुम्हारे लबों का स्पर्श अपने माथे पर, तुम्हारी महक अपनी साँसों में, मेरी बंद पलकों पर वो सारे सपने जो तुम रख दिया करते थे च...