मुझे चुन लिया
जो मैंने कहा नहीं,
तुमने वो सुन लिया
लफ्ज़ अनकहे, ले
ख़्वाब बुन लिया
धीरे-धीरे उलझती-सुलझती रही
और तुम यूँ ही मुस्कुराते रहे ...
सब जानते थे तुम,
जानते थे न ?
मेरे मन के सुर पहचान
जाने कब गीत गुन लिया
मैं बस खोयी रही तुम में,
और तुमने मुझे चुन लिया।
©विनीता सुराणा किरण
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