अक्सर याद आती हैं ......
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वो बातें, वो मुलाकातें, वो रिमझिम बरसातें, अक्सर याद आती हैं.... दबे पाँव आँगन में चुपके से तेरा आना हथेली में भरी बूँदें और छप से छींटें उड़ाना इशारों-इशारों में बिन बोले सब कह जाना शरारत लिए निगाहों में वो हौले से मुस्कराना थाम कर हाथ मेरा धीमे से गुनगुनाना वो नगमे अल्हड प्रेम के वो मीठी धुन मुहब्बत की अक्सर याद आती है ....... छोटी-छोटी बातों पर मीठी सी तकरार एक झलक पाने को घंटों तक इंतज़ार बेसब्री की रातें और दिल बेक़रार सताने को झूठ-मूठ शरारत का इनकार और मनाने को फिर मीठा सा इज़हार वो पल-छिन, वो लम्हा जब रूठी थी बहार तुम चले एक सफ़र पर हम रह गए इस पार वो अधूरे से नगमे वो अधूरी सी प्रीत अक्सर याद आती है....... ©विनिता सुराना 'किरण'