गीत (बूंदों से बात)
आज फिर बूंदों से मुलाक़ात हुई ऐसा लगता है तुझ से बात हुई शरारत से वो मुस्कराना तेरा हथेली से छींटें उडाना तेरा मीठे से नगमे वो गाना तेरा लिए हाथ हाथों में चलना तेरा फिर उन्हीं यादों की बरसात हुई ऐसा लगता है ...... साँसों में बसती है खुशबू तेरी धडकनें भी सुनाए तानें तेरी लिए ख्वाब के पंख मैं भी उडी थी तरानों में तेरे मैं जी उठी थी फिर उन्हीं ख़्वाबों की बरसात हुई ऐसा लगता है ........ ©विनिता सुराना ‘किरण’