देसी टॉम क्रूज़ !

"तुझे पता है,,,, आज लाइब्रेरी में कौन दिखा मुझे ?"

"नहीं पता तो नहीं है ...पर तू बता ही देगी, वरना तेरा पेट दर्द नहीं हो जाएगा... हाहाहा"

"हाँ यार सच्ची !!! आज यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी गयी थी एक सीनियर से नोट्स लेने तो क्या देखती हूँ 'वो' बैठा है सामने और ये मोटी-मोटी किताबें ...मुझे पता ही था कुछ तो है जो दिखता नहीं वरना इतना हैंडसम बंदा क्या बस चलाएगा खाली ?"

"तू किसकी बात कर रही है यार ये गोल-गोल जलेबियाँ बनाकर ??"

"अरे वही 'टॉम क्रूज़' अपना देसी वाला !! तू भी न ! रोज तो मिलता है 9 नम्बर बस में ..."

"हे भगवान ! वो तेरा हीरो .. हाहाहा ... अच्छा तो मतलब वो यूनिवर्सिटी स्टूडेंट है ... चल कम से कम पढ़ा लिखा तो है, और कुछ नहीं तो तुझे उसको देखकर ही पढ़ाई में इंटरेस्ट आ जाए शायद ... ह ह ह "

"वो ट्यूशन दे तो मैं पक्का टॉप करूँगी ..हाहाहा"

"सही है लगी रह तू और अब मुझे बख्श दे बहन, मुझे नहीं लेनी उससे ट्यूशन, तो पढ़ लूँ तू कहे तो अब ..."

"हाय रे ! पत्थर का दिल है तेरा, किसी के लिए कभी धड़केगा क्या?"

"हाँ धड़केगा न जब कोई जीतू (जीतेन्द्र) जैसा आएगा .. हाहाहा", कहकर मैं फिर घुस गयी अपनी किताबों में 😜😂

©विनीता सुराना किरण

Comments

Popular posts from this blog

Happiness

Kahte hai….

Dil Chahta Hai !