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बेवजह

कुछ बातें बेवजह भी होनी चाहिए न ! जैसे किसी सर्द सुबह, शब की विदाई और नींद के साथ छोड़ जाने के बाद भी किसी बीते ख़्वाब को बंद आंखों में कसकर भींच लेना... बेतरतीब सी बिखरी चीज़ों को सम...

अंतहीन

ये हमारी बातें हमेशा अधूरी रह जाती हैं, कितना कुछ होता कहने को पर तुम्हारे साथ का ये वक़्त कैसे फ़ुर्र हो जाता और इन अधूरी बातों से जाने कितनी बातें और जोड़ती रहती हूँ सारा दिन त...

हाँ मैं अपनी favourite हूँ

आज fm पर करीना को उसका पसंदीदा डायलाग दोहराते सुना "मैं अपनी favourite हूँ" याद आयी वो दुबली-पतली लड़की जिसे कभी कहा गया था उसका चेहरा उतना खास नहीं जितने सुन्दर उसके हाथ और पैर ... वो कुछ शब...

ख़बर

"चाय में घोल कर किस तरह पीया जाए भीड़ का उन्माद, साज़िश की बू, गोलियों का अट्टहास, कानफाड़ू नारे, वहशियाना चीख-ओ-पुकार, सुर्ख़ लहू संग बेवज़ह जाया होती सांसें, बेवक़्त दहलाती मौत की आ...

याद है न !

महज़ तीन साल की उम्र या शायद अढ़ाई ही, एक मासूम कृति (किसी की तो होगी) तेज़ बुखार से कांपती हुई स्टेज पर आकर अपना परिचय देती है और फिर बहने लगती है स्वर सरिता .. इतनी शक्ति हमें देना द...

तुम्हारा इंतज़ार है .. तुम पुकार लो

ये सफ़र इतना लम्बा क्यों है? अक्सर इस सवाल में उलझ जाता है मन.. कदम दर कदम जाने कितने एहसासों से रूबरू होता, कुछ अनकही बातें, कुछ आवारा सी ख़्वाहिशें, अक्सर, अनजाने ही जोड़ता, हर अनद...

अंजुरी

कोशिश तो बहुत की, थामे रहूँ मगर कुछ लम्हे छिटक जाना तो लाज़मी था आख़िर अपनी दो हथेलियों में कैसे संभाल पाती वे सागर भर अहसास और उनमें भीगे वे अनमोल लम्हे .… याद है बारिश की बूंद...