ख़बर
"चाय में घोल कर किस तरह पीया जाए
भीड़ का उन्माद,
साज़िश की बू,
गोलियों का अट्टहास,
कानफाड़ू नारे,
वहशियाना चीख-ओ-पुकार,
सुर्ख़ लहू संग बेवज़ह जाया होती सांसें,
बेवक़्त दहलाती मौत की आहट
और फिर दशकों तक पसरी रहने वाली चिर ख़ामोशी..."
ये कहते हुए अख़बार तह कर दिया
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काश अख़बार की तहों में दब कर, घुट कर मर जाती ये ख़बरें !
😢किरण
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