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Showing posts from November, 2018

याद है न !

महज़ तीन साल की उम्र या शायद अढ़ाई ही, एक मासूम कृति (किसी की तो होगी) तेज़ बुखार से कांपती हुई स्टेज पर आकर अपना परिचय देती है और फिर बहने लगती है स्वर सरिता .. इतनी शक्ति हमें देना द...

तुम्हारा इंतज़ार है .. तुम पुकार लो

ये सफ़र इतना लम्बा क्यों है? अक्सर इस सवाल में उलझ जाता है मन.. कदम दर कदम जाने कितने एहसासों से रूबरू होता, कुछ अनकही बातें, कुछ आवारा सी ख़्वाहिशें, अक्सर, अनजाने ही जोड़ता, हर अनद...

अंजुरी

कोशिश तो बहुत की, थामे रहूँ मगर कुछ लम्हे छिटक जाना तो लाज़मी था आख़िर अपनी दो हथेलियों में कैसे संभाल पाती वे सागर भर अहसास और उनमें भीगे वे अनमोल लम्हे .… याद है बारिश की बूंद...

धीमे-धीमे गाऊं मैं ..

अपने ही ख्यालों में डूबी वह जब कभी वो गीत गुनगुनाती तो अक्सर मन वहाँ ले जाता जहाँ कुदरत की गोद में लेटे वह अपने हमसफ़र की आंखों में कितने ही प्रेम पत्र पढ़ लेती और उनके जवाब भी ल...

तुम हो तो ...

वह पास नहीं मगर आज भी साथ तो होगा तभी तो ये त्यौहार इतने खास हो जाते ... घर में भले न हो पर दिलों में रौनक हो तो हर कौना सजा सँवरा सा लगता। हर साल की तरह रंगोली नहीं सजायी उसने पर जैस...