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Showing posts from July, 2016

मज़्मून

जानती हूँ ! कोई लिखता नहीं है ख़त आजकल पर मेरा शौक़ है ख़त लिखना.... आसाँ होता है इन ख़तों में, दिल में उमड़ते हर जज़्बात को अल्फ़ाज़ देना, गिले-शिक़वे स्याही के साथ बहा देना, किसी अज़ीज़ को बि...

मुहब्बत

क्या कहूँ तुमसे... हाँ सच है ये दरमियाँ हमारे कुछ भी नहीं, न लफ़्ज़ों के पुल न ख़्वाहिश की डोरी न रिश्तों की बंदिश न रस्मों के बंधन, मगर फिर ये कैसी कशिश है बताओ ज़रा, इसे नाम दूँ क्या,...

Soul mate (poem 6)

With every passing moment We've come closer There are so many feelings I'm unable to express, Yet I can unfailingly feel Your presence around me As if ethos have painted Some letters on winds Which cling to me unexpectedly Every night, Some entrancing visuals Wound up in my eyes As dreams, Every dream is like a living and throbbing love letter, every word immersed in the ink of romanticism Hums its way to touch my psyche I'm ignited from inside Losing all senses And I caress My wet earth gently To feel 'You' and your nourishing touch ... हर गुज़रते लम्हे के साथ हम कुछ और क़रीब आएं कितने अहसास जो बयाँ नहीं कर पाती ...

काश !

काश ! काश तुम लौट आओ किसी दिन यूँ ही, जैसे अचानक चले गए थे बिना कुछ कहे-सुने, यहीं मिलूँगी तुम्हें इसी मोड़ पर जहाँ शाम ने साथ छोड़ा शब गहराई पर फिर कभी सहर न आ पायी.. ऐसा भी नहीं कि म...

गोदना

हर सुबह मेरी हथेली पर लिखा अपना नाम देख ख़ुश हुआ करते थे, फ़िर एक दिन जब नहीं दिखा, तुमने आसानी से सोच लिया मैं भूल गयी, कुछ कहा नहीं तुमने, बस एक चुप्पी ओढ़ ली ये चुप्पी ख़ामोशी, ख़ाम...

ख़्वाबगाह

जब साज़िश करे नफ़रत तो सहम जाती है मुहब्बत पर रुकती नहीं, हारती भी नहीं, जज़्ब करके सारा विष बस उगलती है अमृत... क्यूँकि तूफ़ान आए तो लहरें होती हैं वाचाल समुन्दर तो वही है धीर-गंभ...

हाँ यूँ ही याद आते हो 'तुम' !

जाने क्यूँ इतना याद आते हो 'तुम' ये कैसी कशिश है, कैसा है जादू, कि साथ न होकर भी अपने होने का अहसास जगाते हो 'तुम' ! रात-रात भर जागती हैं आँखें यूँ तो, पर पलक जो झपकी पल भर को, मीठा सा ख़्...