अभिमान (रोला छंद )
अजब रचाया खेल, गजब है उसकी माया |
चले कौन सी चाल, समझ में किसके आया ||
राजा हो या रंक, सभी को नाच नचाया |
चूर हुआ अभिमान, चिता में काम न आया ||
वसन मोह के ओढ़, नींद में गहरी सोया ||
तेरा मेरा जान, करे है संचित माया |
मुरख करे अभिमान, साथ कब जाए काया ||
निस दिन निरखे रूप, रहा मन दर्पण मैला |
दिया नहीं है दान, हाथ हैं फिर भी फैला ||
आये खाली हाथ, यहाँ से जाना खाली |
तजे यहीं अभिमान, सजे पर-भव की थाली ||
-विनिता सुराना 'किरण'
-विनिता सुराना 'किरण'
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