एक ख्वाब हो तुम

 


एक मुद्दत से शब्दों में ढालते रहें

खूबसूरत सी वही तहरीर हो तुम.

निगाहों ने बेकरारी से ढूंढा जिसे

दिल में बसी वही तस्वीर हो तुम.

पहली मुलाकात में अपने से लगे,

वही हमसफ़र, वही मीत हो तुम.

मन से होंठों तक जो आई,

वही ग़ज़ल, वही गीत हो तुम.

कलियों में खिली, फूलों में महकी,

वही खुशबू, वही आरज़ू हो तुम.

ख्यालों में रची, ख्वाबों में बसी,

वही मुस्कान, वही जुस्तजू हो तुम.

फासले मिटा दिए हमने 'किरण’

पर दूर-दूर रहते हो तुम.

यादों में बसते हो हमारी,

पर अजनबी से लगते हो तुम.

अजब सी पहेली बन गए हो

जैसे सच नहीं, बस एक ख्वाब हो तुम.

-विनिता सुराना ‘किरण’

 

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