ख्वाब सा लगता है
तुम्हारा आना और यूँ चले जाना, ख्वाब सा लगता है. वो अनछुए जज़्बात, प्यार का वो मधुर एहसास, वो मिलने की तड़प, तुम्हारा वो पहला स्पर्श, ख्वाब सा लगता है. वो रूठना-मनाना, शरारत करके हमें सताना, वो चाँदनी रात में छत पर मिलना, आँखों-आँखों में बातें करना, ख्वाब सा लगता है. वो चुपके से तुम्हारा खिड़की पर आना, ख़त में गुलाब दे जाना, वो पेड़ के नीचे घंटों बतियाना, मीठे-मीठे गीत सुनाना, ख्वाब सा लगता है. वो बारिश में भीगते हुए सैर पर जाना, बूंदों से हथेली सजाना, तुम्हारा आना और यूँ चले जाना ‘किरण’ ख्वाब सा लगता है. -विनिता सुराना ‘किरण’