वही सपना, आधा सा अधूरा सा
मीरा की गोद में सर रखकर लेटे उसी की डायरी के पन्ने पलटते उसने पूछा , "क्या कभी हमारी कहानी लिखोगी ?"
"उहूँ , क्यों लिखना है उसे जो हम जी रहे, तुम जीते हो मेरे आखर-आखर में और ये सिर्फ हमारे हैं। कहानियां, किस्सों में तो वो जीया करते हैं जो साथ नहीं होते, हम तो हमेशा साथ रहेंगे न ?" मीरा ने अपनी आंखों में सारी चाहत लिए कहा
"हाँ हमेशा साथ रहेंगे और एक दिन हम कुकी और धनु को हमारी कहानी सुनाएंगे.." उसने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा ।
"अब ये कुकी और धनु कौन हैं ? नए दोस्त हैं तुम्हारे ? मुझे बताया नहीं कभी, कब बने, कहाँ मिले?"
"अरे मेरी झल्ली ज़रा विराम लो ! ये नए दोस्त नहीं हमारी बेटी और बेटा हैं, होने वाले ..." , मीरा की हथेली चूमते हुए वो हँस पड़ा
"धत्त ! ब्याह नहीं हुआ और तुमने बच्चों के नाम तक रख लिए, वो भी बिना मुझसे सलाह किये .." ज़ोर से हँस दी मीरा
आसमान से एक बूंद आकर गिरी मीरा के चेहरे पर और फिर फिसल कर सीधे उसकी गोद में लेटे उसके चेहरे पर ... झट से उँगली में लेकर होंठो से लगा लिया उस मीठी बूंद को उसने ।
"हम मिलें और ये आसमान न बरसे ऐसा हुआ है कभी ? उफ़्फ़! चलो वरना अभी पुकार आएगी तुम्हारे मेरे लिए..", मीरा ने उसके बालों में उंगलियां फेरते हुए बेमन से कहा ।
"माधव ! माधव ... बाबा बुला रहे तुमको.. कहाँ हो भाई?"
हड़बड़ाकर उठ बैठा था वो और मीरा भी उठ खड़ी हुई , माधव ने मीरा का हाथ पकड़ा और तेज़ी से दौड़कर बरगद के पेड़ के पीछे उसे छुपा दिया । मीरा का माथा चूम आंखों में इशारा करते फिर खुद आवाज़ की दिशा में चल पड़ा। मीरा देख रही थी उसे अपने से दूर जाते हुए कि मंदिर की घंटियाँ बज उठी ...
चौंक कर उठ बैठी आन्या, न मंदिर, न पेड़, न मीरा न माधव ... माधव ! ये माधव कौन है और वो चेहरा अनजान होते हुए भी क्यों अपना सा लगा ? मीरा अगर मैं हूँ तो माधव कहाँ है और क्यों नहीं दिखता उसका चेहरा साफ़ से मुझे ? अपने हाथ पर नमी महसूस की आन्या ने ... बारिश की बूंद आयी थी मगर आसमान से नहीं उसकी आंख से !
फिर वही सपना, आधा सा, अधूरा सा.. एक और बेचैनी भरी सुबह और बोझिल सा दिन 😔
#सुन_रहे_हो_न_तुम
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