जब आओगे तुम
या शायद नहीं भी...
तुम मेरी वही नम आंखों वाली भीगी हँसी देखना चाहते हो
जिसे अरसा हुआ कहीं दबे, दम तोड़े
पर मैं तुम्हारी हँसी के पीछे छुपे
वो आँसू देखना चाहती हूं
जो अब भी कहीं बचे रह गए हैं थोड़े से
जो अब तक पलकों का बांध तोड़
बाहर नहीं निकले
ये भी नहीं कह सकती चलो सौदा कर लें...
जानती हूँ दोनों का आना मुमकिन नहीं उस दिन तक
जब तक कि वक़्त के सहरा को पार कर
हम आमने-सामने न हों,
हमारे अश्क़ों को अब और तन्हाई मंज़ूर जो नहीं !
💖किरण
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