ये तेरा असर है
मुस्कराती है दुनिया मेरी, ये उसकी बातों का असर है।
मेरी चाहत, मेरे जुनून, मेरे इश्क़ से अब भी वो बेख़बर है।
फ़क़त इक नज़र से पिघलता है, बेक़रार होकर, मगर
उसे लगता है वो कूल डूड है, उसका चट्टान सा जिगर है।
उसकी आरज़ू है मुझे बेइंतेहा, चाहतें उसकी भी बेशुमार,
चाहे भी तो रोक नहीं सकते, ये सैलाब नहीं समंदर है।
वो जो मीठा सा दर्द देता है इश्क़, उसमें असर है इतना,
बेचैन होते है तन-मन और रूह तक गहरे उतरता क़हर है।
उसकी हल्की सी छुअन, तपिश बढ़ा देती है इस क़दर,
पारा चढ़ता ही जाता है, ये कैसा कमबख़्त ज्वर है।
💖 किरण
Comments