तेरे-मेरे ख़्वाब

कभी-कभी लगता है मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई कि तुझे तेरे ख़्वाबों से मिलवाना चाहा, तेरी काबिलियत से तुझे रूबरू करवाया .. न ये ख़्वाब देखता न इसके टूटने का दर्द होता ! मुझसे अनजाने ही सही गुनाह हो गया, तुझे अनजाने ही सही दर्द दे बैठी, कभी न मिटने वाला दर्द जो वक़्त के साथ शायद अपने निशान तो मिटा देगा पर एक टीस तेरे मन के कौने में हमेशा चुभती रहेगी ..
              तुझे यूँ खुद से अनजाना सा, अपनी ही खुशी से रूठा हुआ सा देखती हूँ तो बहुत रोता है मन, तेरी वो पुरानी खिलखिलाती तस्वीरें देख अनायास ही भीग जाती हैं आंखें, हाँ वही आंखें जो तेरे साथ तेरे ख़्वाब साझा देखा करती थीं !
                तेरी गुनाहगार हूँ मैं, क्या कभी मुक्ति मिलेगी मुझे इस बोझ से बाबू ? क्या कभी वो महकते ख़्वाब फिर देख पाऊंगी तेरी आँखों में झिलमिलाते हुए ? यकीन कर उस दिन मुझसे ज्यादा खुशकिस्मत कोई और नहीं होगा 💖

🎵🎶🎼
कबसे हैं आके रुके बादल
इन आखों पे
उस रोज़ रिहा होंगे
जिस दिन तुम आओगे

छा जाए ख़ामोशी
दुनिया के सवालों पे
सब दर्द ज़ुबां होंगे
जिस दिन तुम आओगे... 
🎵🎶🎼

#सुन_रहे_हो_न_तुम
#मीरा_के_ख़त

Comments

Popular posts from this blog

Happiness

Kahte hai….

Dil Chahta Hai !