प्रेम-धुन
यहीं कहीं हो !"
एक जादू बुनता है चारों ओर
एक नई दुनिया जन्म लेती है
कहीं हमारे ही भीतर से,
रोशनी और रंगों से सराबोर...
ज़िन्दगी मुस्कुराती है
गुनगुनाती है
और बन जाती है खूबसूरत ख़्वाब,
एक इन्द्रिय आह्लाद !
शशश ... क्या सुन रहे हो हवा के परों पर
मंद-मंद थिरकती ये मीठी सी धुन ?
जानती हूं तुम सुन सकते हो,
जैसे मैं सुन पा रही हूं....
मिलते हैं कदम
बहकते हैं, थोड़ा लरज़ते हैं,
थिरकते हैं प्रेम-धुन पर
और ज़िन्दगी हमेशा-हमेशा के लिए सिमट जाती है
बाहों के दरमियाँ !
❤️ किरण
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