अहसास
माना बहुत लंबा रहा ये सफ़र
और तुम्हारे लिए मेरा इंतज़ार भी,
मगर जानते हो
जितनी शिद्दत से ये कहानी लिख रही थी,
वक़्त के पन्नों पर
और उकेर रही थी तुम्हें धीरे-धीरे ,
मन हमेशा ये कहता रहा
कि तुम महज़ एक कल्पना नहीं,
न ही मेरा इंतज़ार बेमानी है तुम्हारे लिए ।
यूँ भी तुम्हें इसलिए कब चाहा था
कि तुम्हें बांध लूं खुद से
या खुद ही बंध जाऊं तुम से ...
किसी बंधन में, किसी रस्म में
मेरा विश्वास नहीं रहा अब ,
जी चुकी हूं बहुत रस्मों को,
निभाती आयी हूँ कितने बेजान रिश्तों को ...
सुनो तुमसे कोई रिश्ता नहीं जोड़ना
न ही हमारे बीच के इस बेनाम
मगर बेहद अहसास को कोई नाम देने की चाहत है ।
बस जीना है हर लम्हा तुम्हारे साथ
छूना है अरमानों का आसमां
भीगना है अहसासों की बारिश में
बिखरना है तुममें खोकर
और संभलना है तुम्हारा हाथ थाम कर
सुनो,
अगर ये साथ इस बार छूटा
तो छूट जाएंगी ये सांसें भी
फिर नहीं मिलेगी राख़ भी
उस इश्क़ की, जिसे इतनी शिद्दत से
बूँद-बूँद सींचा है
ताकि जब तुम मिलो तो जी सकूं इसे
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारे साथ !
💕 किरण
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