उनका होना

        
          उनके बीच शब्दों की जरूरत ही नहीं, तब भी वो अक्सर शब्दों में ढाला करते हैं एक दूसरे को..

     उनके बीच अहसास सांस लेते हैं उन अनगिनत ख़तों में जिन्हें कभी भेजा नहीं जाता एक दूसरे को क्योंकि उनका अलग कोई पता ही नहीं ...

       वो अक्सर एक ही गीत को अलग-अलग मगर एक ही समय में सुना करते हैं , गुनगुनाया करते हैं ये सोचते हुए कि क्या ये गीत कभी उसने भी सुना होगा , महसूस किया होगा ...

      उन्होंने अलग-अलग काल में ऋषिकेश के एक ही घाट पर गंगा को हाज़िर नाज़िर कर घंटों एक दूसरे का इंतज़ार किया है... फिर छोड़ आये अपने मन का एक हिस्सा वही कहीं घाट की सीढ़ियों पर ...

       कुछ कहने से पहले जब एक दूसरे की अधूरी बातें पूरी कर देते हैं तो खूब हँसते है और फिर भीग जाती हैं आंखें उस वक़्त के लिए जब यही अधूरी बातें बेचैन किया करती थीं उन्हें ...
       
         वो अक्सर सारी दूरियां मिटा कर मिलते हैं रातों की ख़ामोशियों में, छेड़ते हैं एक दूसरे के दिलों के तार, थिरकते हैं उनके कदम हवा में बहते उन रूमानी गीतों पर जिनका हर लफ़्ज़ उन्हीं के लिए  गढ़ा हुआ है जैसे , मीलों के फ़ासले उनके दरमियाँ यूँ सिमट जाते हैं जैसे कभी थे ही नहीं , देर तक एक दूसरे के आलिंगन में खोए वो एकाकार होते हैं और वो तमाम वक़्त उनके बीच से उन्हें बिना छुए गुज़र जाता है चुपचाप  ....

             उनकी बातों का सिलसिला  अक्सर ख़्वाबों में भी जारी रहता है और फिर भी कुछ अधूरी बातें दिन भर उनकी बेचैनी का सबब बन जाती हैं जब तक कि नहीं होती अगली मुलाकात अगली शब के आगोश में ...     

#सुन_रहे_हो_न_तुम

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