ज़िंदा हैं हम
हाँ पसंद है ये पुरानी इमारतें,
ये किताबें हैं जिनमें आज भी दर्ज़ हैं कितने अनकहे किस्से,
ये दस्तावेज़ हैं उन फैसलों के जिन्होंने कभी ज़िन्दगी को छुआ तो कभी मुक्ति को,
इनके पत्थरों पर उकेरी गयीं मोहब्बत की इबारतें
हर स्नेहिल स्पर्श से जीवंत हो उठती हैं,
इनकी खामोशियों में गूँज है
रूमानी नगमों की
अधूरी चाहतों की
सिसकते इंतज़ार की
फरियादों की
दुआओं की,
इनके चुप्पे कौनों में अक्सर धड़कते हैं बेचैन दिल,
इनकी कोटरों में सुकून से रहते पंछियों की फड़फड़ाहट
देती है सबूत इनके जीवंत होने का
रोमांचित करता है हवा का हर वह झोंका
जो इनके झरोखों और दरों-दरवाज़ों से गुज़रता हुआ सहला जाता है तन्हा दिलों को,
जब भी कोई नन्हा क़दम अनजान दिशा में बढ़ता है
या कोई मदहोश क़दम लड़खड़ा जाता है
इनकी दीवारें बोल पड़ती हैं, "ज़रा ध्यान से !"
इनके अवशेषों में अब भी है जीवन की रागिनी
दो पल इनके साथ इनका होकर गुज़ारो तो सही ...
💝किरण
Comments