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Showing posts from July, 2018

श्वेत-श्याम

"मुझे बस दो ही रंगों से लगाव था ...काला और सफ़ेद ... पर हाँ जब माँ ज़िद करती तो नीला शर्ट ले लिया करता मगर इनसे इतर कभी कोई रंग न लिया ।" उसने कहा मैंने तपाक से सवाल दाग दिया, "अच्छा ! मगर बा...

प्रकृति से मुलाक़ात महाबलेश्वर में

प्रकृति को क़रीब से महसूस करना हो तो पहाड़ों से बेहतर कोई जगह नहीं ! यूँ तो समुद्र और उसके तट पर अठखेलियां करती धवल लहरें भी कम नहीं लुभाती और वो नम और नर्म रेत जब लाड़ से सहलाती है ...

तुम्हारा वाला 'प्रेम'

अब्र बेचैन से धीरे-धीरे सरकते जा रहे जैसे निकल जाना चाहते हों नज़र बचाकर बिन बरसे, हवा अनमनी सी आकर सहलाती तो है मगर वो मख़मली एहसास नदारद है... कुछ तो रडक रहा है मन में जैसे कोई फा...

कुछ देर और ठहर

पलंग के दायीं ओर वाले दरीचों पर सहर की महीन सी दस्तक, अलसाये से कमरे में कुछ परछाइयाँ देखते ही देखते लुप्त हो जाती हैं । मीठी नींद की ख़ुमारी, लाल डोरियां आंखों में, उस पर घुल जा...