अनकहे एहसास
हाँ !
नहीं दे पाती अल्फ़ाज़
उन एहसासों को,
जिन्हें शिद्दत से महसूस करती हूँ,
किसी नाम की परिधि में
नहीं बाँधना उस रिश्ते को,
जो दिल से जुड़ा है,
तुम्हारे और मेरे बीच
कोई पुल नहीं चाहिए मुझे
क्यूँकि अब किसी सफ़र में
ज़ाया नहीं करना ,
वो थोडा सा वक़्त
जिसकी मोहलत दी है ज़िन्दगी ने...
आज और अभी
चाहती हूँ
विश्वास, एहसास और
बस साथ तुम्हारा !
©विनीता सुराना 'किरण'
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