नाकाम कोशिश

वक़्त करता रहा कोशिश
उम्र की तहों में दबाने की,
मगर ज़िद्दी यादें आकर
हर रात खुरचती रहीं थोड़ा-थोड़ा,
जाने कब कटने लगी तहें
और बाहर सरक आये
कुछ जबरन दबाए गए
'अहसास' ...
रुक जा कुछ देर तो वक़्त
फिर चढ़ा देना एक परत उम्र की,
बस एक गहरी सांस भर लेने दे
जो काफी हो तब तक ,
जब तक फिर से करें
ये अहसास,
तेरी क़ैद से भागने की
एक नाकाम कोशिश !

©विनीता सुराना किरण

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