तुम !

तुम !
वो ख़्वाब नहीं
जिसे रात ने बोया
नींद ने खिलाया
और सुबह तोड़ ले गयी...

तुम!
वो ख़्वाब हो
जिसे बोया भी आँखों ने
सींचा भी अपनी नमी से
खिलकर बैठे
पलकों पर
अब...
सोते हो
सोने देते हो !
©किरण

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