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Showing posts from May, 2016

एक पाती 'स्त्री' की 'पुरुष' के नाम

क्या कहकर संबोधित करूँ तुम्हें? इतने रूपों में देखती हूँ कि अब तक तय नहीं कर पायी कौन सा रूप अधिक प्रिय है तुम्हारा .... वो दर्पण हो तुम मेरा जिसने मुझे मेरे रूप से मिलवाया, जाने ...