थोडा सा जी लें (विडालगति सवैया छंद)
तेरे
मेरे साँझे ख़्वाबों को रस्मों के, धागों
से बांधें साथी थोड़ा सा जी लें।
काँटे
राहों के फूलों से हो जायेंगें, हाथों
को थामें साथी थोड़ा सा जी लें।
सूखे
चश्में धारे हैं प्यासे नैनों के, बांधों
को खोलें साथी थोड़ा सा जी लें।
कसमें
वादे झूठे नाता ये सच्चा,
झूठों को भूलें साथी थोड़ा सा जी लें।
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