शिक्षक

पल-प्रतिपल मुझे स्पर्श करके
निरंतर गुज़रती रही तुम
कभी माँ बनकर दुलारा, संवारा
कभी पिता बनकर राह दिखाई
भाई-बहिन, सखा-सखी बन सँभाला
थाम कर हाथ मेरा
कभी शिक्षक बन उकेरे
आखर संस्कार के, व्यवहार के
कभी अंतर्मन बन पुकारा
और दिखा गयी आईना मुझे
हर कदम बढती गयी मैं
और परछाई सी चलती रही तुम
मेरे साथ-साथ निरंतर
हर पल- प्रतिपल
एँ मेरी ज़िन्दगी !
तुम्हीं ने सिखाया है जीना
रिश्ते-नातों को सीना
खुशियों को संजोकर
ग़मों को पीना
हर क्षण सहज रह कर
हर क्षण को जीना |

तुम्हीं सबसे बड़ी शिक्षक हो मेरी......
©विनिता सुराना किरण  

Comments

Popular posts from this blog

Happiness

Chap 28 HIS RETURN…..

Kahte hai….