तुम नहीं आये

लो समा गया एक और दिन
शाम के आगोश में
रेशमी गालों पर शाम के
उभर आई है लाली हया की
परिंदे भी लौट चले हैं
अपने नीड़ की ओर
तारों की बारात भी
बस आने को है
सज रहा है चाँद
मिलने को रजनी से
मिलेंगे बिछड़े मीत भी
अपनी सजनी से
पर तुम नहीं आये .....
कहा था न तुमने  
मेरा इंतज़ार करना
इससे पहले कि शाम के रंग घुले  
रजनी की साँसों में
और चुरा ले चाँद उनको,
मैं लौट आऊंगा,
मेरे गीतों को होंठों से लगाकर
अपनी धडकनों के सुर देना
अपनी नर्म हथेली पर मेहंदी रचाना
खूब सजना संवरना
दुल्हन सी निखरना
जरूर लौट आऊँगा मैं
तुम्हारा श्रृंगार पूरा होने से पहले 
पर तुम नहीं आये .....
कल कुछ तितलियाँ आई थी
मिलने मेरे ख़्वाबों से
छोड़ गयी कुछ रंग पिघले से
जगा गयी मेरे ख़्वाबों को
सोचा, जब तक तुम नहीं आते
एक तस्वीर बना लूँ तुम्हारी
कुछ यादें थी खामोश सी
मिला कर रंगों में जिन्हें
गाढे किये थे रंग  
ताकि बह न जाए,
लो कच्ची पक्की सी
बन गयी एक तस्वीर तुम्हारी
पर तुम नहीं आये ......
कब से पलकों में छिपाए
बैठी हूँ तस्वीर तुम्हारी
ढाले हैं वो लम्हात
वो आखिरी मुलाक़ात
तुम्हारी रेशमी हँसी
मेरे पिघलते जज़्बात
वो हवा में घुली खुशबू
जो आज भी छोड़ती नहीं
मेरी साँसों को तन्हा  
थकने लगी है आँखें मेरी
पिघलने लगी है शबनम भी
बेज़ार सी हो चली धड़कने
लगता है डर कहीं बह न जाए
ख्व़ाब मेरे, ख्वाहिशें मेरी,
कहीं दम न तोड़ दें
आरज़ू मेरी, जुस्तजू मेरी
कितना बुलाया मेरी हसरतों ने तुम्हें
पर तुम नहीं आये .....
रतजगे के बाद
एक और सुबह होगी
पर कहाँ मेरी तीरगी कम होगी
जो तुम नहीं तो बस
सियाही है तक़दीर में मेरी
किसी सितारे से ये कम न होगी
क्या मेरी याद नहीं आती तुम्हें?
क्यूँ तुमने सारे वादे भुलाए
बोलो न ...... तुम क्यूँ नहीं आये ? 
©विनिता सुराना किरण  

http://soundcloud.com/vinita-surana-1/vz5oat0rds26 

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