आहट (नव गीत)
अनदेखे अनजाने से
मन के सूने गलियारों में
पहचाने से क़दमों की
वो आहट अक्सर सुनती हूँ |
थम जाती है साँसें भी
सुनने को सरगम मीठी सी
रंगों की महफ़िल सजती
तब ख्व़ाब सुनहरे बुनती हूँ |
लहरें बीते लम्हों की
जब तटबंधों को छू जाती
‘किरण’ ह्रदय-सागर से मैं
यादों के मोती चुनती हूँ |
चक्र समय का चलता जब
ऋतुएँ बदले मौसम बदले
नैनों की बंजर धरती
पर सूखे आँसू धुनती हूँ |
©विनिता सुराना ‘किरण’
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