मीरा-कृष्ण



मुरली की धुन, मीरा मन भाए
सुध-बुध जग की, तब वो बिसराए
श्याम सलोना, जग का है प्यारा
मीरा ने पर, सब कुछ है वारा
वीणा के स्वर, या मुरली की धुन
अलग नहीं अब, एक हुए है सुन.
-विनिता सुराना ‘किरण’

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