आँसू




आँसू नहीं ये खारा जल है .......अगर मन नहीं निर्मल है  

अतिरेक में ये बहते अगर ......तो पवित्र गंगा जल है   

कोई कहें मोती अनमोल.......तो कभी ये अनकहे बोल  

बहते है जब भी आँसू..... हृदय में होती हलचल है

-विनिता सुराना   

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