नारी (मुक्तक)



नदिया सी चंचला तुम, धरा सी धीर हो

भगिनी, सुता, जननी, रांझना की हीर हो

कोमल हो कामिनी, स्वर-कोकिला भी तुम

साहसी पद्मिनी, लक्ष्मी रानी वीर हो 
-विनिता सुराना 'किरण'

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