तुम



भोर की सुनहरी ख्वाहिश हो तुम,
पलकों पर ठहरा हसीं ख्वाब हो तुम,
लबों पर खिली मधुर मुस्कान हो तुम,
मन को महका दे, वो खुशबू हो तुम,
दिल को जो सुकून दे, वो ख़ुशी हो तुम,
साँसों में बसा प्यार का एहसास हो तुम,
साथी हो, मीत हो, प्यार हो, प्रीत हो तुम,
हार के बाद मिली पहली जीत हो तुम,
प्यासी धरती पर पड़ी सावन की पहली बूँद हो तुम,
जुबां पर आया दिलकश प्रेम-गीत हो तुम,
वादे-वफ़ा हो, मुहब्बत हो,
जन्म-जन्मान्तर के साथी हो तुम.
-विनिता सुराना ‘किरण’

Comments

BAHOT BADHIYA...
सुबह की सुनहरी ख्वाहिश हो तुम,
आँखों में बसा खूबसूरत ख्वाब हो तुम,
होटों पर खिली मीठी मुस्कान हो तुम,
मन को महका दे वो खुशबू हो तुम,
दिल को जो सुकून दे वो ख़ुशी हो तुम,..... KYA KHUB LIKH HAI
DIL KO SUKUN DE VO KHUSHI HO TUM,
JINDGI ME JO NA MILI VO PYARI SI DOST HO TUM !
SUPERLYK !!!! :)
ajayraj said…
दिल को जो सुकून दे वो ख़ुशी हो तुम,
साँसों में बसा प्यार का एहसास हो तुम,
साथी हो मीत हो,प्यार हो ,प्रीत हो तुम,
हार के बाद मिली पहली जीत हो तुम,

jahapanah tusi grt ho :-)

kya vini ji kya khub likhti ho bada sundar likhti ho
phir se likho likhte hi raho acha lgta h

ab to sara jivan vini ke blog padne ko dil karta h

really very niceee

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